आजकल मिलावटी कारोबार निरंकुश बन चुका है जैसे उन्हे किसी भी कानून का डर न हो। जहां देखो सब नकली ही नकली है, आज बाजार में तमाम खाद्य पदार्थ से लेकर ब्लड,दवा और तो और शरीर के अंग इत्यादि सभी कुछ नकली घडले से बिक रहे हैं। रिफाइन्ड और वनस्पति घी से असली घी बनाया जा रहा है । एक मिलावटखोर को पकडा जाता है तो दस और पैदा हो जाते हैं जो नकली ब्रांड को असली ब्रांड के पैकेट में बेचने को तैयार खडे हैं। कभी पहले मिलावट करने से पहले यह सोच तो लिया जाता था कि कहीं थोड़ी सी मिलावट लोगों के लिये जानलेवा साबित न हो जाय परन्तु आज मिलावटखोरों ने इस संबध में ऐसा कुछ सोचना बिलकुल ही छोड़ दिया है। सब धनपिपासु बन गये हैं। अब तो हर कुछ खुले आम किया जा रहा है चाहे वह दूध के नाम पर कपडे धोने का पाउडर से बना ज़हरीला दूध हो या पशुओं की चर्बी से बना हुआ देसी घी। आज सब कुछ मार्केट में उपलब्ध है। बस खरीदने वाला होना चाहिए,मिलावट खोर तो सब कुछ बेचने को तैयार बैठे हैं। सावधान देखना तो हमे और आपको ही है कि कहीं हम और आप घोखे में अमृत के बदले ज़हर तो नही खा रहे। मूल्य चुका कर भी सेहत के साथ खिलवाड तो नही कर रहे।