बेलगाम घोड़े बने ई-रिक्शा दिल्ली के लिए सिर दर्द

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बेलगाम घोड़े बने ई-रिक्शा दिल्ली के लिए सिर दर्द

By | 2017-12-14T06:29:59+00:00 October 17th, 2017|News|

दिल्ली, आज से लगभग एक वर्ष पूर्व तक राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों को जाम में फंसाने के लिए दिल्ली में चल रहे लाखों की संख्या में हाथ रिक्शा से लोग परेशान थे। अब ऐसा लगता है उनका स्थान बैटरी द्वारा संचालित रिक्शा यानि ई-रिक्शाओं ने ले लिया है। आज आलम यह है कि धीरे-धीरे हाथ रिक्शा गायब होते जा रहे हैं और उनके स्थान पर ई-रिक्शा की भीड़ दिखने लग गई है। पहले जहां-जहां हाथ रिक्शा बेतरतीबी से खड़े नजर आते थे आज वहां हाथ रिक्शाओं के साथ-साथ बेशुमार ई-रिक्शा भी खड़े नजर आ रहे हैं। पैदल आने-जाने वालों के साथ-साथ अन्य वाहन भी बेबस हो रहे हैं। हर चौराहे की चारों साईडों पर यह अनुशासनहीन होकर अपने रिक्शा ऐसे खड़े कर देते हैं जिससे पैदल यात्री, स्कूटर, थ्रीव्हीलर, कार और अन्य वाहनों सहित राजधानी में चलने वाले डीटीसी के वाहन भी फंस जाते हैं। घंटों तक जाम लग जाने का यह मुख्य कारण सिद्ध हो रहे हैं। वहां मौजूद यातायात पुलिस भी इनका कुछ बिगाड़ नहीं पाती। पुरानी दिल्ली में तो विशेषकर इस तरह के नजारे दिख सकते हैं और तो और मेट्रो स्टेशनों के बाहर भी इनकी भीड़ से आने-जाने वाले परेशान हो चुके हैं। यातायात पुलिस अधिकारियों के अनुसार अधिकांश ऐसे रिक्शों का कोई रजिस्ट्रेशन न होने के कारण इनके चालान का प्रावधान संभव नहीं हो रहा। हम ज्यादा से ज्यादा कभी-कभी इनके पहियों की हवा निकाल देते है परन्तु यह फिर वापिस लौट आते हैं फिर एकजुट होकर खुद को आम आदमी होने की बात कहकर “आप” की दिल्ली सरकार को शिकायत करने घमकी देकर दबाव डालते है। पुलिस वालों के सामने बड़ा धर्मसंकट खड़ा हो चुका है। अब ई-रिक्शा चलाने वाले निरंकुश हो चुके है और जब तक इनके लिए कोई सरकार द्वारा नियम कानून नहीं बनेगा तब तक इनका रवैया ऐसा या और भी टेढ़ा चले, कुछ नहीं कहा जा सकता।
प्राप्त सूचनाओं के अनुसार इन ई-रिक्शा चलाने वालों में कुछ आपराधिक और असामाजिक तत्व भी शामिल हो चुके है जो अपनी अपराधिक गतिविधियों के द्वारा यात्रियों को विशेषकर महिलाओं को लूटने में जुटे हुए है। एक सूचना के अनुसार सब्जी मंडी क्षेत्र की एक महिला के साथ एक ऐसी वारदात घटित हो चुकी है जिसमें उसे हिप्नोटाईज सा करके उसकी लाखों रुपए के गहने और कुछ नकदी भी लूटी जा चुकीे है।
सरकार को शीघ्र ही इस विषय में इन पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस नीति, नियम और कानून बनाने चाहिएं ताकि स्थिति नियंत्राण में रह सके वरना देरी हो जाने पर कल को ई-रिक्शा भी एक सामाजिक नासूर बन सकता है। ये आजकल ऐसे बेलगाम घोड़े बन चुके हैं जो किसी की नही सुन रहे। हर चौराहे पर इनकी वजह से जाम लगना आम बात हो गई है। अपनी मनमानियों की वज़ह से ये दिल्ली वालों को बीते हुए कल के कलंक बन चुकी रेड लाईन बसों की यादें ताज़ा करवा रहे हैं।